*शरीर (कुछ दोहे)*
शरीर (कुछ दोहे)
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1
धन तो अर्जित कर लिया, करके तन बर्बाद
धन से पर कैसे मिले, वापस तन-आह्लाद
2
तब तक धरती स्वर्ग है, जब तक सुंदर देह
रखो यत्न से स्वस्थ तन, करके इससे नेह
3
तन को रखिए वर्ष सौ, सौ रोगों से दूर
तन टूटा तो आदमी, क्या अमीर-मजदूर
4
पौधों के भीतर निहित, अमर तत्व का वास
सारे रोगों की दवा, कुदरत के है पास
5
सॉंसों पर रखिए नजर, परखें उनकी चाल
सॉंसें बतलातीं सदा, भीतर का सब हाल
6
जग में मेला दो दिवस, दो दिन सबसे मेल
जीवन क्या है देह में, सॉंसों का बस खेल
7
चले देह पर यह सौ बरस, मिले आयु या साठ
उत्साही होकर पढ़ो, रोज सूर्य से पाठ
8
तन में अविनाशी छिपा, अद्भुत लिए तरंग
खोल लिफाफे को पढ़ी, चिट्ठी जिसने दंग
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451