शरीफ यात्री
एक थाली के चट्टे बट्टे मुहावरे पर आधरित कहानी – शरीफ यात्री
बस अपनी रफ़्तार से चलने लगी बस कंडक्टर ने यात्रियों के टिकट बनाना शुरू किया सबके टिकट बनाने के बाद अमूमन यदि यात्री का कुछ बकाया रहता और चिल्लर के अभाव कंडक्टर टिकट के पीछे ही बकाया लिख देते है और ज्यो ज्यो चिल्लर की उपलब्धता होती जाती है यात्रियों के पैसे वापस करते जाते है।टिकट मैन्युअल था एक यात्री जो देखने मे बहुत शरीफ थे टिकट ले चुके थे और पांच सौ का नोट दिया था कंडक्टर को जिसमे से वापस करने वाली धनराशि टिकट के पीछे लिख दिया था अमूनन बस में पचास पचपन ही यात्री होते है टिकट का पैसा कंडक्टर को चुकाने के बाद और बकाया आदि का हिसाब हो जा ने के बाद सामान्यत टिकट के प्रति यात्री बहुत संवेदन शील नही रह जाते कारण की कंडक्टर को तो मालूम रहता है कि वास्तव में किस यात्री से उसकी क्या डीलिंग हुई है या होनी है ।वह शरीफ यात्री हाथ मे ही टिकट लिए थे पड़ोस में बैठे यात्री से राजनितिक गुफ्तगू करने में मशगूल थे
भारत के किसी कोने किसी प्रदेश या नगर गांव चाहे हो एक बात बहुत खास और प्रचलित सामान्य है सलाह देने की आदत प्रत्येक भारतीय की है यदि अपने कह दिया कि आपको अमुक समस्या तो उसके हज़ारों समाधान सलाह जो अनुभव के आधार पर होते है प्राप्त हो जायेगा चाहे आपकी समस्या चाहे जैसी है पारिवारिक हो स्वास्थ्यगत हो या किसी तरह की हो ।इसी प्रकार प्रत्येक भारतीय में एक और बहुत विशेषता है जब वह समुदाय में होता है तो चाहे गांव हो हाट हो रेल बस का सफर हो राजनीति पर चर्चा अवश्य करता है और अक्सर शासन प्रशासन की कमियां भ्रष्टाचार और चुनावी राजनीति पर सारी बतकही केंद्रित रहती है ।भारतियता की आम पहचान को और सबृद्ध करते वह शरीफ यात्री हाथ मे टिकट लिये पड़ोसी यात्री से राजनीतिक एव वर्तमान के भारतीय हालात में इतना मशगूल हो गया कि उसे ध्यान ही नही रहा कि उसके हाथ का टिकट कहां चला गया अचानक तभी बस ड्राइवर ने बस रोक दी बस रोकते ही कंडक्टर बस से उतरे और आकस्मिक टिकट जांच इंस्पेक्टर के पास गए इंस्पेक्टर महोदय ने सबसे पहले बस में लदे लगेज को चेक किया और कंडक्टर की आंखों आंख डाल बात की इशारे ही इशारे में आपसी समझ बन गयी फिर एक आदमी चढ़ा और बोलने लगा कोई स्टाफ विकलांग कोई एम एस टी होल्डर कोई पत्रकार सांसद विधायक तो बस में नही बैठे है ।तब तक शरीफ यात्री महोदय बोले कनक्टर साहब मैने पांच सौ रुपये दिया था बकाया याद रखियेगा तब तक बस में चेकिंग दल का चढ़ा स्टाफ शरीफ आदमी से बोला महोदय आप कंडक्टर से टिकट दिखाए शरीफ आदमी ने अपने सारे पॉकेट और अपने सीट के आगे पीछे दाएं बाए सब जगह देखा कि जो टिकट उन्होंने कटवाया था कही मिल जाये लेकिन वह मिला नही शरीफ आदमी ने कहा आप कंडेक्टर साहब से पूंछ लीजिये मैंने टिकट लिया था और मेरा बकाया है जिसे कंडक्टर साहब को वापस करना है। चेकिंग दल का बस में दाखिल व्यक्ति बोला महोदय मुझे किसी से पूछने में कोई रुचि नही है आप टिकट दिखाइए। शरीफ व्यक्ति बहुत परेशान वास्तव में लापरवाही में टिकट कही गुम हो गया था कंडक्टर ने कहा साहब इन्होंने टिकट लिया था इनको कुछ पैसा जो इनके बकाया के रूप में मेरे है पास हमे वापस करना है चेकिंग दल का सदस्य बोला अपने टिकट काटा है आपको उनके बकाया लौटने है वह मैं नही जानता उनसे टिकट दिलाइये या पांच सौ जुर्माने का साथ उनका टिकट फौरन बनाइये। और सुनिए ज्यादे चिकिर पिकीर करेंगे तो आपने जो लगेज लाद रखा है उसका भी पेनाल्टी के साथ टिकट बना देंगे और आपके लिए चार्जशीट का रिकमंडेशन कर देंगे कल से बस और सड़क पर नजर नही आएंगे। यदि तुमने टिकट दिया है शरीफ यात्री को तो पैसे और काटे गए सभी टिकटो का मिलान करो इसमें कम से कम एक घण्टा समय लगेगा तब तक यात्रियों से कहिए इत्मिनान से बैठे यात्रियों ने शोर मचाना शुरू कर दिया जल्दी बस स्टार्ट करो । कंडेक्टर शरीफ व्यक्ति था उंसे लगा बेवजह शरीफ यात्री को डबल टिकट पाँच सौ रुपये पेनाल्टी देनी पड़े वह जांच दल के सदस्य को समझाने की भरपूर कोशिश करने लगा जिसके कारण दोनों में तू तू मैं मैं बहुत तीखे अंदाज़ में होने लगा भयंकर गर्मी बस यात्री भयंकर गर्मी से परेशान बस यात्रीयो ने एक स्वर में कहा आप लोग #एक ही थाली के चट्टे बट्टे #है रोज मिल बांट कर खाते है आज क्यो आपस मे ही ग़दर काट रहे है ।मगर दोनों पर कोई प्रभाव नही पड़ा तब वह विनम्र शरीफ यात्री उठे और चेकिंग दल के सदस्य से बोले महोदय आप दोनों ही एक ही विभाग के है रोज रोज आप लोंगो का एक दुसरे से पाला पड़ता रहता है मिल बांट कर खाने वाले लोग या यूं कहें कि# एक ही थाली के चट्टे बट्टे #लोग मेरी लापरवाही जिसके कारण कंडक्टर साहब को शर्मिंदगी उठानी पड़े तो ठीक है आप पेनाल्टी के साथ टिकट बनाइये हम कंडक्टर साहब को जो नेक इंसान और उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के अभिमान होने चाहिये मिल रही है जलालत जिसे हम नही बर्दास्त कर सकते है चेकिंग दल के सदस्य ने शरीफ यात्री का टिकट पेनाल्टी सहित बनाया और उत्तर गया उसके उतरने के बाद बस चल पड़ी। कंडक्टर बहुत शर्मिदा होते हुए शरीफ यात्री से माफी मांगने लगा बाद में पता चला कि वह शरीफ यात्री उत्तर प्रदेश परिवहन निगम का उच्च अधिकारियों में एक था जिसे कंडक्टर दोनों ही नही जानते थे।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।