” शरारती बूंद “
” शरारती बूंद ”
अरावली की तरुण पहाड़ियों में
सामोद का पहाड़ भी नजर आया
मूसलाधार बारिश हो गई फिर शुरू
शरारती बूंद ने पूनिया को तरसाया,
श्रावण मास और शिवोहम का रूफ टॉप
नहाने को तभी मीनू का मन ललचाया
जूते निकाल कर भागी छत की और
ये क्या बदरा तो सहसा दूर भाग चला,
मायूस नजरों से मैंने घूरा अंबर को
क्यों रे शैतान तूने मेरे बदरा को पुकारा
सूक्ष्म बूंद कर रही है मजाक मेरे संग
बादल बना बैठा है नभ का दुलारा,
ठहर ठहर कर बरसाता शीतल बारिश
मोती ज्यों बलखाती बूंद को मैंने निहारा
धरती पर गिरने को हो रही अब आतुर
बूंद को मैंने कह दिया फलक का सितारा।
Dr.Meenu Poonia