बदनाम शराब
ऐसा नहीं है कि शराब का नशा ही हराम होता है,
शराब में दुश्मन भी साथ होता है और होश में भाई भी दुश्मन होता है।।
महबूब से मिला धौखा शराब पी जाती है,
शराब ही वो आग है जो दिल की आग को बुझा पाती है,
होश वाले तो जानबूझकर गिरते हैं गैरों के पैरों में,
नशेवान लड़खड़ाकर गिरता है तो खुद ही खड़ा होता अपने पैरों पे।।
कौन है जो मरेगा नहीं इस जमीन पर यारो,
कौन है जो हक से कह दे कल वो जियेगा यारो,
शराब में शराब का नशा ही तो सच्चा होता है,
पैदा होने के बाद केवल मरना ही तो सच होता है।।
गंगा यमुना का पवित्र जैसे संगम है, शराब सोड़े का वैसा ही पवित्र बंधन है,
कुछ जाम आँखों में आँसूं भरकर पीलो यारो,
होश झूठा है कुछ पल बेहोश होकर जीलो यारो।।
दुनियाँ ने तो तुमको टोका है तुम्हारे हँसने पर भी,
दुनियाँ ने तो तुम्हें छोड़ा है भलाई करने पर भी,
दुनियाँ का काम ही छोड़ना पकड़ना है जीवन में,
जाम थामो हाथों में और दुनियाँ को हिसाब लगाने में छोड़ो यारो….।।
prAstya….(प्रशांत सोलंकी)