शराब आ शबाब।
शराब आ शबाब।
-आचार्य रामानंद मंडल
सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया में विमलेश ठाकुर कैशियर रहथि।वो गणित से एम. एस सी. रहलन।हम चार गो साथी मिल के सेकेण्डरी कोचिंग सेंटर खोल ली,त मैथ पढाबे लेल कहली,त वो मार्निंग सिफ्ट में पढ़ावे लेल तैयार हो गेलन।हुनकर पढावे के शैली से विद्यार्थी सभ खुश रहे। कोचिंग में विद्यार्थी के संख्या बढ़े लागल।हम जब मेहताना देबे के लेल कहली तो वो कहला- दयानंद बाबू हम मेहताना न लेब।हम अंहा सभ के मदत करै छी। अंहा सभ एगो वित्त रहित महाविद्यालय में पढ़बै छी। अंहा सभ के वेतन न मिलै हैय। हमरा त बैंक में नौकरी हैय आ वेतन मिलै हैय।वो एक नेक दिल इंसान रहैत।
बैंक के पार्टी फंक्शन में वो कभी-कभी शौकिया शराब पी ले रहैत। धीरे धीरे हुनका शराब के लत्त पड़ गेल।वो बड़का शराबी बन गेलन।अब त तीन बजे भोर से पीये लगला। बैंक आवर में भी पीये लगलन।
अब शराब के नशा में शबाब भी चाही।शबाब के लेल हुनकर नजर कपड़ा धोयवाली सुगिया पर पड़ल।वो मैइल कपड़ा लावे आ साफ कैल कपड़ा देवे, डेरा में अबैत रहे।तीस बर्षीय सुगिया नाटी, मोटी आ कारी रहे। गोल मुंह , पीठ पर लटकैत कारी केश,छोटकी छोटकी आंखि, मोट होंठ ,ताड़ के फल जेका उरोज ,हकलाइत आवाज आ हथिनी अइसन चाल रहे।मानो बासना के मूर्ति रहे।काम कला के मर्मज्ञ आ कामशास्त्र के रचयिता ऋषि वात्स्यायन के अनुसार हस्तिनी श्रेणी के स्त्री रहे।
धीरे धीरे सुगिया के संगे हुनकर वासनात्मक संबंध जुड़ गेल।
शराब आ शबाब के लेल आबि विमलेश ठाकुर के धन (रुपया) के जरूरत पड़े लागल।वेतन कम पड़े लागल। कारण कि वो बाल बच्चेदार रहैत। सुंदर पत्नी भी रहे।परंच शराब के लत।बच्चा आ पत्नी डेरा पर नै रह के अपन गाम पर रहे।
जौं बैंक के अन्यकर्मी आ मैनेजर छुट्टी पर रहैत त विमलेश ठाकुर कैशियर के संगे मैनेजर के भी काज करैत। बैंक में तीनेटा कर्मचारी रहे।एगो मैनेजर,एकटा क्लर्क आ एगो कैशियर ठाकुर जी स्वयं। ठाकुर जी कोनो ग्राहक के नाम पर भाउचर भरके आ वोकरा पास क के राशि(रुपया) निकाल लेबै। रूपया से खूब सुगिया संगे कबाब खाय,शराब पीये आ ऐश करे। सुगिया के खूब रुपया देबे लागल।
पहिले सुगिया एके टाइम गंदा कपड़ा लेवे आ साफ कपड़ा देवे आवे। कहियो सुबह में त कहियो सांझ में आवे।आबि सुबह में गंदा कपड़ा लावे आबे त सांझ में साफ कपड़ा देबे आबे।इ एगो बहाना रहे।
बैंक में छुट्टी के दिन त दस एगारह बजे आबे त चार पांच बजे तक रहे।दूनू गोरे बासना के नंगा नाच करें।
बैंक के जौं औडिट भेल त गड़बड़ी पकड़ल गेल।लेखा बही के पन्ना फाड़ल भेटल।भाउचर गायब।
ठाकुर जी पर आरोप लागल। ठाकुर जी कहलन हम इ काज न कैली हैय।इ काज मैनेजर साहब कैलन हैय। आडिटर कहलन-जै दिन अंहा गड़बड़ी कैली हैय ।वोइ दिन के उहे खास भाउचर गायब हैय आ कैश बुक के पन्ना फाटल हैय।वोइ दिन मैनेजर साहब आ क्लर्क छुट्टी पर हैय। केवल यहीं ड्यूटी पर छी आ वोकर नाजायज फायदा उठैली हैय। विमलेश ठाकुर शांत पड़ गेलन आ रोय लग लन। मैनेजर साहब थाना में फोन कैलन।
कुछ देर बाद दारोगा दू टा पुलिस के साथ आ बैंक में आ धमकल। कैशियर विमलेश ठाकुर पर एफआईआर दर्ज भेल। पुलिस हथकड़ी लगा के थाना में ले गेल।बाद में कोर्ट में पेश क के जेल ले गेल।
विमलेश ठाकुर बैंक सेवा से बर्खास्त भे गेलन।
शराब आ शबाब के कारण एक नेक दिल इंसान ठाकुर जी के जीवन बर्बाद हो गेल।
स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।