शराबी
उसे अब भी समझ नहीं आता। पियेगा नहीं तो कैसे वक़्त गुजारेगा।सुबह से शाम कैसे होगी।रात को क्या करेगा। उसे ये भी समझ में नहीं आता कि आजकल लोग उससे कन्नी क्यों काटते हैं।पहले घर वाले उसे शराब पीने से मना करते थे।अब वे कुछ नहीं कहते किन्तु बात भी कम करते हैं।जो दोस्त पहले उसके साथ हमप्याला होते थे, वे भी उससे बचने की कोशिश
में रहते हैं। ये वही दोस्त थे उसके पैसों से पीकर उसकी वाह वाही करते थे।
आज उसकी जेब में फूटी कौड़ी नही थी।चार दिन से घर पर ही पीकर पड़ा रहा था।दुकान भी नहीं गया था।
दो तीन दोस्तों से ,जो उसे अब भी थोड़ा बहुत मानते थे,पहले ही वो उधार रुपये ले चुका था।शराब की तलब बढ़ती जा रही थी। गला सूख रहा था। हाथ पैर कांपने
लगे थे। उसने ईश्वर से प्रार्थना की कि आज कहीं से पीने की जुगाड़ हो जाये अगले दिन से वह पीना ही छोड़ देगा।
उसने एक बार फिर अपने कमरे की तलाशी लेने का निर्णय किया। कभी कभी जब उसके पास पैसे होते तो वो जानबूझकर कुछ रुपये एसे ही किसी आड़े वक़्त के लिये छुपा देता था। बैंक खाता उसका खाली रहता।
वह कमरे में गया। किताबों की रेक जहाँ दीवार से सटी रखी थी ,रैक के पीछे एक आला था।उसने पहले वहां नहीं देखा था।
उसने रैक आले के सामने से खिसकाई तो देखा वहां एक 500/ रुपये का नोट रखा था। उसकी बाछें खिल गयीं। साथ ही उसने राहत की सांस ली।दो तीन दिन की शराब के कोटे की व्यवस्था हो गयी थी।
उसने तुरंत नोट जेब के हवाले किया औऱ नजदीक के शराब के ठेके की ओर भागा।
उसे प्यास लगी थी। पहला शराब से भरा गिलास वो गटागट पी गया। पहले वो बार में बैठ कर महँगी वाली अग्रेजी शराब पीता था। तब वो काम धंधे की ओर भी ध्यान देता था औऱ अच्छी खासी कमाई थी।
ज्यों ज्यों पीने की लत बढ़ती गयी धंधा मंदा होता गया। पैसे कम पड़े तो सस्ती शराब पीने लगा।कभी शर्म आती तो जल्दी2 पीकर निकल लेता। उसने थोड़ा नमकीन लिया औऱ नमकीन के साथ शराब के चार पाँच गिलास जल्दी जल्दी पिये औऱ घर की ओर चल दिया।
घर के नज़दीक पहुँचते पहुँचते उसे पूरा नशा चढ़ चुका था। उसका मकान एक गली में था।वह लड़खड़ाते हुए कदमो से धीरे धीरे चला जा रहा था। दुर्भाग्यवश सड़क में एक छोटा गढ्ढा था जिसमें उसका एक पैर पड़ गया और वो लड़खड़ा कर गिर पड़ा। उसके मुंह से कराह निकल गयी।
पास के मकान से एक महिला की आवाज़ आयी,”पप्पू देख बाहर कौन है।
मकान की खिड़की से पांच-छः साल एक बालक ये सब देख रहा था। उसने चिल्ला कर कहा,”माँ, कोई नहीं एक शराबी है।”
बात उसके कानों में भी पड़ी।
वह चुप चाप उठा औऱ बगैर धूल झाड़े फिर लहराता हुआ अपने मकान की ओर बढ़ गया।