शरद सुहावन
शरद सुबह है सुखद सुहावन
बहती मलय समीर है ।
कोयल कूके पक्षी गाए
बदली बदली तस्वीर है ।
खेतो में सरसों फूले है
बहती मलय समीर है ।
वसंत की हवा वासित है ।
खुशियों से झूमे कीर है ।
नव युवती सा प्रकृति सजी है
बदली बदली तस्वीर है ।
रंग भर गए दिग दिगंत तक
कल कल बहता नीर है ।
शरद सुबह है सुखद सुहावन
बहती मलय समीर है ।
@ विन्ध्यप्रकाश मिश्र ‘विप्र ‘@