शरद पूर्णिमा
आई हैं पूर्णिमा शरद ।
लेकर आनन्द सुखद।।
फैल रहा हैं प्रकाश ।
धवल हुआ आकाश ।।
ठंडी ठंडी बयार बहे ।
छूकर मन को कहे ।।
देखो बरस रहा बाहर ।
नभ से अमृत हर पहर ।।
बना शुभ योग प्रहरी ।
कहते सब गज केसरी ।।
चन्द्र दिखा रहा पूर्ण कला ।
कर दर्शन मन हुआ उजला ।।
।।।जेपीएल।।