शरद पूर्णिमा
मुक्तक
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शरद पूर्णिमा की निशा, खिले चांदनी श्वेत।
ऋतु परिवर्तन का यही, है प्रियकर संकेत।
खुशियां लेकर आ रहा, दीपों का त्योहार।
किन्तु साथ उत्साह के, रहना हमें सचेत।
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नैसर्गिक लगती हमें, धवल चांदनी रात।
जीवन में लाती सहज, स्नेह भरी सौगात।
आगे बढ़ जाते कदम, बढ़े आत्मविश्वास।
साथ निभाता चन्द्रमा, बन जाती है बात।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य