शरद की श्वेत शीतल रात्री में
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शरद की श्वेत शीतल रात्री में,
मेरा मन व्यथित व्याकुल उदास।
हर पल याद दिलाती है तेरी,
शरद चाँद के चमकीले उजास।
शीतल शुभ्र ज्योत्सना फैली,
अम्बर वसुंधरा के आँगन में
आओ तो शरद चाँदनी में,
प्रियतम बैठो कुछ पल मेरे पास।
—लक्ष्मी सिंह ?☺