शरद का चांद
शरद का चांद
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अंधियारी दुख की रात
में, खिले शरद का चांद
मानवता के चेहरे से….
अब मिट जाए अवसाद
खोल के खिड़की प्रेम की
वो, किरण करें प्रवेश
सबके हृदय से हट जाए
दूषित घृणा के अपवाद…
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