Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 1 min read

शब्द

शब्दों में जान होती है
टूटते दिलों की प्राण होती है
माधुर्य भाव हो गर शब्दों में
शब्द बांसुरी की तान होती है

शब्द संभाल कर बोलिये
हाँथ ना उसके पाव
पर घायल कर दे ऐसे की
कोई औषधि काम ना आये

हिम्मत हारते इंसान को
देती है अभिप्रेरणा
जीने की उम्मीद और
भर देती है प्रेरणा

कड़वे शब्द जैसे दिल को
छलनी कर जाते हैँ
वहीं मीठे भाव लिए शब्द
दवा दर्द की बन जाते हैं

शब्दों में जान होती है
टूटते दिलों की प्राण होती है

ममता रानी
झारखंड

85 Views
Books from Mamta Rani
View all

You may also like these posts

तुम्हारा हो
तुम्हारा हो
Deepesh Dwivedi
खत्म न हो सकी कभी
खत्म न हो सकी कभी
Dr fauzia Naseem shad
बसंत
बसंत
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
हर वो शख्स खुश रहे...
हर वो शख्स खुश रहे...
Ravi Betulwala
चांद मुख पे धब्बे क्यों हैं आज तुम्हें बताऊंगी।
चांद मुख पे धब्बे क्यों हैं आज तुम्हें बताऊंगी।
सत्य कुमार प्रेमी
"दो पल की जिंदगी"
Yogendra Chaturwedi
जीवन में कुछ बचे या न बचे
जीवन में कुछ बचे या न बचे
PRADYUMNA AROTHIYA
Ignorance is the shield
Ignorance is the shield
Chitra Bisht
Bundeli doha-fadali
Bundeli doha-fadali
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आतंकवाद
आतंकवाद
मनोज कर्ण
एक अधूरी दास्तां
एक अधूरी दास्तां
Sunil Maheshwari
Happy Father's Day
Happy Father's Day
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रसन्नता
प्रसन्नता
Rambali Mishra
2965.*पूर्णिका*
2965.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
हम बस भावना और विचार तक ही सीमित न रह जाए इस बात पर ध्यान दे
हम बस भावना और विचार तक ही सीमित न रह जाए इस बात पर ध्यान दे
Ravikesh Jha
बहुत जरूरी है एक शीतल छाया
बहुत जरूरी है एक शीतल छाया
Pratibha Pandey
ये इश्क है
ये इश्क है
हिमांशु Kulshrestha
शीर्षक – शुष्क जीवन
शीर्षक – शुष्क जीवन
Manju sagar
शब्दों की खेती
शब्दों की खेती
कुमार अविनाश 'केसर'
नई शुरावत नई कहानियां बन जाएगी
नई शुरावत नई कहानियां बन जाएगी
पूर्वार्थ
श्रम साधिका
श्रम साधिका
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
"" *प्रेमलता* "" ( *मेरी माँ* )
सुनीलानंद महंत
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
Dr. Rashmi Jha
"रातरानी"
Ekta chitrangini
" वक्त "
Dr. Kishan tandon kranti
प्रीतम के ख़ूबसूरत दोहे
प्रीतम के ख़ूबसूरत दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
कह रहा है वक़्त,तुम वफादार रहो
कह रहा है वक़्त,तुम वफादार रहो
gurudeenverma198
*सस्ती सबसे चाय है, गरम समोसा साथ (कुंडलिया)*
*सस्ती सबसे चाय है, गरम समोसा साथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मन डूब गया
मन डूब गया
Kshma Urmila
Loading...