शब्द
शब्द
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आशीष बनें जब शब्द कभी, तो शब्द ढाल से बनते।
देते हैं घाव बड़े गहरे , जब दिल में जाकर चुभते ।।
शब्दों में प्यार चहकता है, शब्दों में सृजन समाया ।
शब्दों की शक्ति अपरिमित है, अपनों को करें पराया ।।
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मन में मंथन करता चल ।
भाव हृदय के कहता चल ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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