शब्द
सच और शब्दों के मेल बहुत मुश्किल होते हैं।
इस दुनिया में राजनीति के हमसफ़र सब होते हैं।
समाज में हम सभी के साथ साथ चलते हैं।
हकीकत में न समाज न रिश्ते नाते सच होते हैं।
आज अपने पराए और पराए अपने होते हैं।
सोच ऐसी आज हमारी जो कहती रहतीं हैं।
बस मुस्कुराती जिंदगी मन भावों में सच,शब्द कहां रहते हैं।
शब्द ही आज हम और तुम एक मन भावों को कहते हैं।
हां सच शब्द जो मनभावों में बस जुबां पर सदा रहते हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र