Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2020 · 1 min read

शब्द

इतने शब्द कहाँ से लाते हो तुम?
कैसे बुनते हो ये ताना-बाना?
किस्सों की चादर कैसे बिछाते हो?
ये गीत-ग़ज़ल के तकियों पर
कैसे ख़्वाब बनाते हो?
कैसे गिरते हैं तुम्हारे अक्षर
उस चादर पर?
कैसे उसकी सिलवटों में
तुम उम्मीदें छिपाते हो?
इतने शब्द कहाँ से लाते हो तुम?

कैसे तुम्हारे पन्ने बन जाते हैं कम्बल?
घेर लेते हैं मुझे ऐसी दुनिया में
जहाँ मैं अदृश्य, और किरदार साकार होते हैं?
ऐसे टिमटिमाते भाव कहाँ से बनाते हो तुम?
इतने शब्द कहाँ से लाते हो तुम?

कैसे लेती हैं भावनाएँ अँगड़ाइयाँ?
कैसे अँधेरा भी रोशनी बन जाता है?
क्यों रात तुम्हारी कहानियों के बिना अधूरी है?
ऐसी क़लम कहाँ से लाते हो तुम?
इतने शब्द कहाँ से लाते हो तुम?

Language: Hindi
5 Likes · 2 Comments · 227 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
Atul "Krishn"
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
पाॅंचवाॅं ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह -2024 संपन्न
पाॅंचवाॅं ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह -2024 संपन्न
Dr. Narendra Valmiki
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
शेर
शेर
SHAMA PARVEEN
कुर्सी मिलते ही हुआ,
कुर्सी मिलते ही हुआ,
sushil sarna
3649.💐 *पूर्णिका* 💐
3649.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
फूल कभी भी बेजुबाॅ॑ नहीं होते
फूल कभी भी बेजुबाॅ॑ नहीं होते
VINOD CHAUHAN
" नैतिकता "
Dr. Kishan tandon kranti
"अंधविश्वास में डूबा हुआ व्यक्ति आंखों से ही अंधा नहीं होता
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
मय है मीना है साकी नहीं है।
मय है मीना है साकी नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
एकांत चाहिए
एकांत चाहिए
भरत कुमार सोलंकी
लेंगे लेंगे अधिकार हमारे
लेंगे लेंगे अधिकार हमारे
Rachana
पिता का साया
पिता का साया
Neeraj Agarwal
मन होता है मेरा,
मन होता है मेरा,
Dr Tabassum Jahan
चल अंदर
चल अंदर
Satish Srijan
नम्रता
नम्रता
ओंकार मिश्र
लेकर सांस उधार
लेकर सांस उधार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
■ आज का शेर...।
■ आज का शेर...।
*प्रणय प्रभात*
तजुर्बे से तजुर्बा मिला,
तजुर्बे से तजुर्बा मिला,
Smriti Singh
हे राम हृदय में आ जाओ
हे राम हृदय में आ जाओ
Saraswati Bajpai
नियोजित शिक्षक का भविष्य
नियोजित शिक्षक का भविष्य
साहिल
आज, नदी क्यों इतना उदास है.....?
आज, नदी क्यों इतना उदास है.....?
VEDANTA PATEL
शहरी हो जरूर तुम,
शहरी हो जरूर तुम,
Dr. Man Mohan Krishna
"जुबांँ की बातें "
Yogendra Chaturwedi
दोस्तों की कमी
दोस्तों की कमी
Dr fauzia Naseem shad
संवेदनहीनता
संवेदनहीनता
संजीव शुक्ल 'सचिन'
दुःख  से
दुःख से
Shweta Soni
पानी जैसा बनो रे मानव
पानी जैसा बनो रे मानव
Neelam Sharma
बेरोजगारी की महामारी
बेरोजगारी की महामारी
Anamika Tiwari 'annpurna '
Loading...