Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jan 2018 · 2 min read

शब्द विवेचन- मेरा आईना- प्रेम

शब्द विवेचन – “प्रेम”

शब्द माला के “प” वर्ग के प्रथम और व्यंजन माला के इक्कीस वे अक्षर के साथ स्वर संयोजन के बना “अढाई अक्षर” का शब्द “प्रेम” स्वंय में वृहद् सार को समेटे जीवन को परिभाषित करती एक परिभाषा है, जिसका विस्तृत स्वरूप अनन्य है !

जैसा की उच्चारण से ही प्रतीत होता है की (पर+एम्) अपने आप में संकीर्ण होते हुए भी व्यापक है (पर अर्थात दूसरा या अन्य और एम् का सम्बन्ध अंग्रेजी भाषा में किसी प्रयोजन या उद्देश्य से माना जाता है) सामान्य भाषा में समझा जाए तो दुसरे के लिए किये गए प्रयोजन का अभिप्राय ही प्रेम कहा जा सकता है !

प्रेम अपने आप में एक अनुभूति है जिनमे कई प्रकार की भावनाओ के मिश्रण का समावेश है , यह पारस्परिक मनोवेग से आनंद की और विस्तृत होता है ! जिसमे दृढ आकर्षण के साथ आपसी सामंजस्य व् लगाव की भावना निहित होती है ! सामाजिक परिवेश की पृष्भूमि के तहत इसको विभिन्न रूपों में विभाजित किया जाता रहा है ! जिसके मुख्य पहलुओं में सम्बन्धी, मित्रता, रोमानी इच्छा और दिव्य प्रेम आदि है !

आम तौर पर यह शब्द एक अहसास की अनुभूति करता है जो एक प्राणी से दुसरे के प्रति होती है ! प्रेम अर्थात प्यार को हम कई प्रकार से देख सकते है जैसे निर्वैयक्तिक रूप में या पारस्पारिक रूप में हालांकि (निर्वैयक्तिक या अवैयक्तिक एवं पारस्पारिक ) इन शब्दों की व्याख्या अपने आप में विस्तृत है जो अलग चर्चा का विषय है ! हम अपने शब्द “प्रेम” की और आगे बढ़ते है !

प्रेम या प्यार के यदि आधार को समझने की कोशिश की जाए तो इसमें भी कई भेद सामने आते है, जिनमे प्रमुख जैविक, मनोवैज्ञानिक, या विकासवादी विचारधारा के अनुरूप हो सकता है ! जैविक आधार पर प्रेम जीवन के यौन प्रतिमान के आकर्षण का प्रतिबिम्ब है जो भूख, वासना, आसक्ति, उत्साह के वेग प्रदर्शित करता है, वही मनोवैज्ञानिक आधार पर प्रेम सामाजिक घटनाक्रम से जुड़ा होता है जिसमे एक आशा, प्रतिबद्धता व् आत्मीयता का भाव जुड़ा होता है ! और विकासवादी आधार पर प्रेम जीवन यापन के आधारभूतो के अनुरूप अपना स्थान लेता है !

प्रेम के दृष्टिकोण अलग अलग हो सकते है कोई व्यवहारिक रूप में देखता है कोई दार्शनिक रूप में देख सकता है, किसी के लिए सियासी लाभ हानि का कारक हो सकता है, कोई रूहानी ताकत से देखता है, तो कोई सामरिक समरसता की दृष्टि से आदि आदि !

अंतत: प्रेम आपने आप में एक अनुभूति है जो सात्विकता से ग्रहण करता है उस प्राणी में कुछ पाने की लालसा का अंत हो जाता है! मात्र समर्पण भावो में लिपटकर सवयं से दूर हो जाने की अवस्था तक जा सकता है !

विस्तृत रूप में जितना विन्यास किया जाए कम लगता है, इसका व्यापक दृष्टिकोण है जो वृहद् चर्चा का विषय हो सकता है! यहां मात्र एक शब्द विवेचन के रूप में इसे समझने का सूक्ष्म सा प्रयास है !

प्रस्तुति विवेचक : – डी के निवातिया

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 386 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डी. के. निवातिया
View all
You may also like:
https://sv368vn.guru/ - Sv368 là nhà cái cũng như là cổng ga
https://sv368vn.guru/ - Sv368 là nhà cái cũng như là cổng ga
Sv368
ये  शराफत छोड़िए  अब।
ये शराफत छोड़िए अब।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*दो नैन-नशीले नशियाये*
*दो नैन-नशीले नशियाये*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*जीवन्त*
*जीवन्त*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
* किधर वो गया है *
* किधर वो गया है *
surenderpal vaidya
"ये जान लो"
Dr. Kishan tandon kranti
*बेटियाँ (गीतिका)*
*बेटियाँ (गीतिका)*
Ravi Prakash
चिड़िया
चिड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
उसने कहा कि मैं बहुत ऊंचा उड़ने की क़ुव्व्त रखता हूं।।
उसने कहा कि मैं बहुत ऊंचा उड़ने की क़ुव्व्त रखता हूं।।
Ashwini sharma
****हमारे मोदी****
****हमारे मोदी****
Kavita Chouhan
अश्रु
अश्रु
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
#सीधी_बात-
#सीधी_बात-
*प्रणय*
शायद जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण स्वयं को समझना है।
शायद जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण स्वयं को समझना है।
पूर्वार्थ
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
Manisha Manjari
जिस सफर पर तुमको था इतना गुमां
जिस सफर पर तुमको था इतना गुमां
©️ दामिनी नारायण सिंह
न्योता ठुकराने से पहले यदि थोड़ा ध्यान दिया होता।
न्योता ठुकराने से पहले यदि थोड़ा ध्यान दिया होता।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ख़ुद की नज़रों में
ख़ुद की नज़रों में
Dr fauzia Naseem shad
जब भी अपनी दांत दिखाते
जब भी अपनी दांत दिखाते
AJAY AMITABH SUMAN
शीर्षक – फूलों के सतरंगी आंचल तले,
शीर्षक – फूलों के सतरंगी आंचल तले,
Sonam Puneet Dubey
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
VINOD CHAUHAN
तुमने सोचा तो होगा,
तुमने सोचा तो होगा,
Rituraj shivem verma
जिंदगी देने वाली माँ
जिंदगी देने वाली माँ
shabina. Naaz
हत्या
हत्या
Kshma Urmila
महाकाल महिमा
महाकाल महिमा
Neeraj Mishra " नीर "
*** तस्वीर....!!! ***
*** तस्वीर....!!! ***
VEDANTA PATEL
Micro poem ...
Micro poem ...
sushil sarna
जिस चीज को किसी भी मूल्य पर बदला नहीं जा सकता है,तो उसको सहन
जिस चीज को किसी भी मूल्य पर बदला नहीं जा सकता है,तो उसको सहन
Paras Nath Jha
स्वर्गस्थ रूह सपनें में कहती
स्वर्गस्थ रूह सपनें में कहती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
3638.💐 *पूर्णिका* 💐
3638.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...