Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2017 · 2 min read

शब्द-विद्रोह-सुकमा नक्सली हमला…..

?सुकमा (छत्तीसगढ़) में नक्सलवादियों द्वारा किये गए हमले में हुई सैन्य-क्षति का विरोध करने हेतु उपजा शब्द-विद्रोह!!!)

हिन्द धरा के इतिहासों में जुड़ गयी नई कहानी है।
नक्सलवाद हुआ दुखदाई खून बहा ज्यों पानी है।

सुकमा की धरती फिर दहली टूटा फूलों का गमला।
भारत माता की छाती पर वज्र प्रहार बना हमला।

कब तक हिन्द सहेगा अपने घर की पत्थरबाजी को।
कोशिश करके दूर करो इस नादानी-नाराजी को।

नीति-नियंता नियम बनाकर कुछ तो यहाँ सुधार करें।
तलवारों में धार लगाकर रणभेरी तैयार करें।

कौरवदल में कृष्ण गए ज्यों शांतिदूत कहला भेजो!
जो अपने हैं मौका देकर उनको पास बुला भेजो!

फिर सेना को कूच करादो शंखनाद करवा करके।
चुन-चुन फिर कुत्तों को मारो जंगल में दौड़ा करके।

सत्ता की लाचारी मत गौरव पर भारी बनने दो।
शेरों की जंजीरें खोलो मुक्त शिकारी बनने दो!

रक्त बहाते जो पानी-सा उनको पाठ पढ़ा दो तुम।
लाश बिछाते जो वीरों की उनकी लाश बिछा दो तुम।

तुष्टिकरण की राजनीति या अंधभक्ति की यारी हैं।
मुट्ठी भर नक्सलवादी क्योंकर सेना पर भारी हैं।

स्यार लोमड़ी और कुतियों को नहीं नक्सली जनने दो।
शेरों को स्वच्छन्द करो जंगल का राजा बनने दो!

चीन-पाक भी देख रहे हैं नामर्दी – लाचारी को।
मुहर लगाकर पक्का कर दो भारत की खुद्दारी को।

शकुनी और जयचन्दों को गिन-गिनकर सबक सिखाने हैं।
ढूंढ़-ढूंढ़कर घर के भेदी सूली पर लटकाने हैं।

बंद करो शांति की भाषा सेना को मत क्रुद्ध करो!
जंगल में दावानल फूँको खान-पान अवरुद्ध करो!

द्वि-परिवेशीय भारत में अब राजसूय का अश्व चले!
असुर दुराचारी नीचों का यज्ञवेदि में हव्य डले।

तब भारत में रामचन्द्र की तेज-पताका फहराए!
अक्षुण और अखण्ड हिन्द का स्वप्न सूर्य-सा उग आए!

क्रय-विक्रय भण्डारण-वितरण नष्ट नक्सली मण्डी का!
रक्तबीज वध को आवाहन करना होगा चण्डी का!

??????????
©तेजवीर सिंह ‘तेज’ 25/4/17

Language: Hindi
291 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अच्छे थे जब हम तन्हा थे, तब ये गम तो नहीं थे
अच्छे थे जब हम तन्हा थे, तब ये गम तो नहीं थे
gurudeenverma198
कुछ लिखूँ.....!!!
कुछ लिखूँ.....!!!
Kanchan Khanna
कर्मों से ही होती है पहचान इंसान की,
कर्मों से ही होती है पहचान इंसान की,
शेखर सिंह
अब के मौसम न खिलाएगा फूल
अब के मौसम न खिलाएगा फूल
Shweta Soni
“हिन्दी का सम्मान”
“हिन्दी का सम्मान”
Neeraj kumar Soni
तू जब भी साथ होती है तो मेरा ध्यान लगता है
तू जब भी साथ होती है तो मेरा ध्यान लगता है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
एक छोटा सा दर्द भी व्यक्ति के जीवन को रद्द कर सकता है एक साध
एक छोटा सा दर्द भी व्यक्ति के जीवन को रद्द कर सकता है एक साध
Rj Anand Prajapati
मनोभाव
मनोभाव
goutam shaw
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
सिर्फ चुटकुले पढ़े जा रहे कविता के प्रति प्यार कहां है।
सिर्फ चुटकुले पढ़े जा रहे कविता के प्रति प्यार कहां है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मैं  रहूँ  या  ना रहूँ
मैं रहूँ या ना रहूँ
DrLakshman Jha Parimal
पापा
पापा
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
रगणाश्रित : गुणांक सवैया
रगणाश्रित : गुणांक सवैया
Sushila joshi
औरत.....?
औरत.....?
Awadhesh Kumar Singh
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
कवि रमेशराज
सोया भाग्य जगाएं
सोया भाग्य जगाएं
महेश चन्द्र त्रिपाठी
*जाते देखो भक्तजन, तीर्थ अयोध्या धाम (कुंडलिया)*
*जाते देखो भक्तजन, तीर्थ अयोध्या धाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
"कभी-कभी"
Dr. Kishan tandon kranti
💖
💖
Neelofar Khan
🙅अक़्लमंद🙅
🙅अक़्लमंद🙅
*प्रणय*
"आस्था सकारात्मक ऊर्जा है जो हमारे कर्म को बल प्रदान करती है
Godambari Negi
अगर मैं अपनी बात कहूँ
अगर मैं अपनी बात कहूँ
ruby kumari
दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते
Bodhisatva kastooriya
कोरे कागज़ पर
कोरे कागज़ पर
हिमांशु Kulshrestha
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
जब दादा जी घर आते थे
जब दादा जी घर आते थे
VINOD CHAUHAN
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
Phool gufran
स्त्री
स्त्री
Dinesh Kumar Gangwar
हाइकु (मैथिली)
हाइकु (मैथिली)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...