शब्द युग्म मुक्तक
मुक्तक-१
उठा-पटक अच्छी नहीं, बात लीजिए ज्ञान।
सोच समझ कर ही करें, अपने सारे काम।
सही समय पर ही भली, कार्यों की शुरुआत।
स्थिरता से मिलते सदा, मनवांछित परिणाम।
मुक्तक-२
सभी जगह है आजकल, उठा-पटक का दौर।
भाग दौड़ की जिंदगी, मिलता कहीं न ठौर।
काम बिगाड़े हर जगह, राजनीति का खेल।
ऐसे में जाएं कहां, स्वयं कीजिए गौर।
मुक्तक- ३
जली-कटी हर बात से, सदा रखें परहेज।
ओर स्नेहमय जिन्दगी, नहीं करें निस्तेज।
प्यार भरे दो शब्द का, होता बहुत प्रभाव।
भोर समय ज्यों सूर्य का, मिले सभी को तेज।
मुक्तक- ४
जली-कटी बातें बहुत, करते हैं जो लोग।
उनके जीवन में नहीं, बनते सुख के योग।
मृदु भाषी बनकर रहें, बोलें मीठे बोल।
सभी सुखों का सहज ही, खूब करें उपभोग।
मुक्तक- ५
आनन-फानन में सभी, हुए जा रहे एक।
केवल कुर्सी लक्ष्य है, नहीं इरादे नेक।
मन बिल्कुल मिलते नहीं, पृथक सभी की सोच।
सत्ता पर बस चाहते, अपना ही अभिषेक।
मुक्तक-६
आनन-फानन में करें, जब भी कोई काम।
मन अपना वश में रखें, जो भी हो परिणाम।
एक जगह रुकना नहीं, आगे की हो सोच।
बहते पानी की तरह, जीवन हो गतिमान।
मुक्तक- ७
उबड़-खाबड़ राह कभी, आ जाए जब पास।
हिम्मत से बढ़ना सदा, होना नहीं उदास।
मंजिल मिलती है उसे, चलता जो अविराम।
सही समय आता निकट, होते सफल प्रयास।
मुक्तक- ८
पथरीली उबड़-खाबड़, इस जीवन की राह।
किन्तु पथिक असली वहीं, जिसमें धैर्य अथाह।
केवल बढ़ना धर्म है, और यही है कर्म।
कभी क्षीण होता नहीं, मन का है उत्साह।
मुक्तक- ९
आतंकवादियों का जितना भी फैला ताना बाना है।
अस्तित्व देश के दुश्मन का अब जड़ से हमें मिटाना है।
बहुत सही चुके अब न सहेंगे आतंकी का वार कोई।
पकड़-धकड कर एक एक को सही जगह पंहुचाना है।
मुक्तक- १०
पकड़-धकड होती रहे, सतत चले अभियान।
शेष यहां आतंक का, रहे न नाम निशान।
पत्थर का बन्दूक से, होगा जब प्रतिकार।
पुण्य भूमि कश्मीर की, लौटेगी फिर शान।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य