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16 Jan 2018 · 1 min read

शब्द मुखर है-पुस्तक समीक्षा मनोज अरोड़ा

कविता की पहचान या शब्दों का चयन करना किसी जौहरी की तरह हीरे की परख करने से कम नहीं होता; और बात अगर साझा संग्रह की हो तो सम्पादक के समक्ष विकट मोड़ जैसी स्थिति बन जाती है, क्योंकि सबको साथ लेकर चलना और सबको समान स्थान देना बहुत मुश्किल कार्य होता है
सम्पर्क संस्थान द्वारा प्रस्तुत एवं युवा कवयित्री रेनू शर्मा द्वारा सम्पादित साझा काव्य-संग्रह इस बात का प्रतीक है कि नारी न कभी किसी क्षेत्र में पीछे थी, ना है और ना ही रहेगी।
प्रस्तुत काव्य-संग्रह में सम्पादक रेनू शर्मा ने कुल तीस कवयित्रियों द्वारा रचित कविताओं को संजोया है, जिनमें प्रेम, इन्सानियत, साँझ, जुनून, सलीका, सकारात्मक सोच, देश-प्रेम, कलम की ताकत, पहचान, अहसास एवं भावनाएँ सम्मिलित हैं।
कहीं किसी कवयित्री ने नारी-शक्ति का वर्णन किया है तो किसी ने लिखा है जो किया व कर रहे हैं यह तो कुछ भी नहीं क्योंकि ‘पहचान अभी बाकी है’ कहीं किसी ने लक्ष्य की महत्ता को उजागर किया है तो कहीं नियति से रूबरू करवाया है।
‘चला था अकेला, लोग मिलते गए कारवां बनता गया’ उक्त कहावत सम्पादक पर सटीक बैठती है, क्योंकि जिस प्रकार से इन्होंने उक्त पुस्तक का सम्पादन किया है, वह वाकई अनुकरणीय कार्य है।
युवा कवयित्री रेनू शर्मा की अथक मेहनत व लगन से ये खुशबू बिखेरता काव्य गुलदस्ता बेहद आकर्षक बन पड़ा है।
—मनोज अरोड़ा
(लेखक एवं समीक्षक)
+91-9928001528

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 265 Views
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