शब्द बाण
धनुष से निकले हुए
बाण ही घायल नहीं करते
सामने वाले को
मुंह से निकले हुए
बाण तो तोड़कर रख देते है
सामने वाले को।।
शब्दों के तीर तो
बहुत नुकीले होते है
जो जाकर सीधे
दिल में चोट करते है
छोड़े कोई अपने तो
और ज्यादा पीड़ा देते है।।
कहने वाला तो
कह देता है अपनी बात
नहीं समझता वो
सामने वाले के जज़्बात।।
तीर की पीड़ा तो
कुछ दिन ही रहती है
लग जाए बात बुरी तो
पीड़ा ताउम्र रहती है।।
जब छूट जाता है एक बार
वापस नहीं आ सकता ये
हो अगर नुकीला, जहरीला
गहरे घाव कर जाता है ये।।
है ताकत बहुत इन
शब्द रूपी बाणों में
रिश्तों को तोड़ देते है।
जो चुभ जाए दिल में
ये बाण अगर अपने
अपनों को छोड़ देते है।।
दिल में लगे जो ये तीर
इंसान को बदल देते है
देखा है हमने कई बार
तकदीर बदल देते है।।
यही शब्द बाण कभी
तस्वीर पलट देते हैं
सोई प्रतिभा को जगा
असंभव को भी
संभव कर देते हैं।।
कुछ भी बोलने से पहले
ख्याल रखो लोगों की
भावनाओं का
तुम्हारे शब्द रूपी तीर
कत्ल ना कर दे किसी की
भावनाओं का।।