शब्द पिरामिड
शब्द पिरामिड
आसमान
देखता रहा
प्रसन्न भाव जोश
होश मंत्र मुग्ध आज
आत्म सुख सदेह राज योग
भोग द्रव्य दीन भाव मिट रहा
समा गया सहर्ष प्रेम व्योम मध्य देखता।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
शब्द पिरामिड
आसमान
देखता रहा
प्रसन्न भाव जोश
होश मंत्र मुग्ध आज
आत्म सुख सदेह राज योग
भोग द्रव्य दीन भाव मिट रहा
समा गया सहर्ष प्रेम व्योम मध्य देखता।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।