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11 Jul 2024 · 1 min read

शब्द पिरामिड

शब्द पिरामिड

आसमान
देखता रहा
प्रसन्न भाव जोश
होश मंत्र मुग्ध आज
आत्म सुख सदेह राज योग
भोग द्रव्य दीन भाव मिट रहा
समा गया सहर्ष प्रेम व्योम मध्य देखता।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 28 Views
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