शब्द पानी हो गए
छोड़कर हमको किसी की जिंदगानी हो गए
ख्वाब आँखों में सजे सब आसमानी हो गए
प्रेम की संभावनाएँ थीं बहुत उनसे, मगर,
जब मिलीं नजरें परस्पर, शब्द पानी हो गए
वो उगे थे जंगलों में नागफनियों की तरह,
आ गए दरबार में तो रातरानी हो गए
सत्य का था बोलबाला, त्याग था सद्भाव था,
आज के युग में सभी किस्से कहानी हो गए
चीज क्या है जिंदगी ये, जब समझ पाए जरा,
वो भी फानी हो गए और हम भी फानी हो गए