शब्द – पर्वत
धरणीधर
ज्योति प्रभा शिखर
गौरवान्वित ।
महा विराट
धराधर भूधर
ग्रीवा अकड़ ।
अभिभावक
राष्ट्र देश भारत
पर्वतराज ।
हे हिमपति
महा दीर्घ विशाल
तुषार हिम ।
साधु सन्यासी
हिमाद्रि नगेश
शरणागत ।
अचल तुंग
जीवन अनुभव
आनंद मग्न ।
श्वेत हिमाद्रि
आत्मिक चैन सुख
प्रियदर्शन ।
संभालो आप
गिरिवर अचल
हिमस्खलन ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 16/06/2021 )