शब्द : दो
शब्द : दो
क्रांति का जब चिराग़ जलता है।
शब्द एक भीड़ में मचलता है ॥
युद्ध के शब्द ही लड़ाकू हैं।
क्षमा में शब्द ही पिघलता है॥
मृत्यु पर शब्द खत्म होते हैं।
शब्द अंतिम चिता में जलता है ॥
शब्द का तीर जब निकलता है।
लौट कर आग में बदलता है॥
शब्द मत आसमान पर थूको ।
गिरा तो वदन पर टपकता है।