शब्द क्यूं गहे गए
शब्द क्यूं गहे गए
भाव क्यूं लिखे गए ,
पीर के पहाड़ ये
किसलिए चढ़े गए ,
क्यूं धरा का दम घुटा
क्यूं पवन में विष घुला,
अग्नि ने धरा है क्यूं
रूप दानवी भला,
क्यूं नदी की शुचिता
पर लगा है प्रश्न चिह्न ,
क्यूं हुआ है आसमान
मनुज देह सा मलिन ,
क्यूं पहाड़ कट रहे
क्यूं ये वन उजड़ रहे,
दृश्य ऐसा देखकर
भी चक्षु कैसे जड़ रहे,
क्यूं युवा भटक रहा
सभ्यता से कट रहा,
शक्ति और ऊर्जा
का हनन है कर रहा,
क्यूं समाज में कहीं
प्रेम है न भाव है,
क्यूं कटु स्वभाव है
लगाव का अभाव है,
क्यूं परंपराओं का
हो रहा विनाश है,
सभ्यता के हित में
क्या,ऐसा सर्वनाश है।