शब्द की महिमा।
कोई न जाने शब्द की महिमा। शब्द कहै शब्द की गरिमा।।चुन चुन कर अवतरित होते रहते हैं। शब्द की छाती पर हमेशा डोलते रहते हैं। कल्पना शक्ति इनको धारण करती है। विचार शक्ति इनको अवतरित करती है। शब्द ही इस संसार की मूल रचना है। मधुर मधुर स्वर से होती साधना है।। शब्द अगर सिद्ध होते हैं। मंत्र बनकर आपकी मुश्किल ढोते हैं।इनकी न समझ पाते गहराई। अर्थ के अनेक रूप होते हैं।।