शब्द✍️ नहीं हैं अनकहे😷
शब्द कभी भी,
अनकहे नहीं होते,
अनकहे होते हैं अर्थ,
चाहे वो राग हो,
अनुराग हो,
विराग* हो कुछ पल का,
या चिरकाल प्रभावी वार*।।
प्रकाश प्रारंभ है,
अर्थ का संकेत है,
दिन के कर्तव्य ,
अस्त वेला* है,
अवसान* वापसी का,
इनमें कोई शब्द नहीं है,
फिर भी,
अर्थ छिपे हैं अनेक,
स्व प्रयोजनपरक,
प्रकार – प्राकार*।।
फलत: उन अर्थों से कभी -कभी ,
हो जाता है अनर्थ,
जानकी – हरण जैसा हठ,
अपना कुल* , कुल* दग्ध,
पुनरपि दुर्दम विकार,
वासना का भार ,
ढोकर धराशयी ,
होता जानकार।।
अर्थों से ही ,
छिड़ जाता है समर,
महाभारत -सा ,
बिखर जाता है ,
अहम्भाव का ,
संचित झूठा भण्डार ,
बिछड़ जाता है ,
परिवार -संसार ,
बिखर जाता है,
जतन से जोड़ा गया,
रिश्ता – कुटुंब ,
अपनेपन का सम्भार*।।
फिसल जाता है ,
कदम समझदारी का,
वर्षों से संभाले,
अपने आचार – वसन* का,
विद्वेष जग उठता है,
कुविचारों का,
सागर के ज्वार समान,
मृगतृष्णा-अतृप्त नार*।।
भाव जाग उठता है,
वहम का,
फिर वही बदल जाता
अहम में आदतन,
हम में मजबूरन,
आप में यकीनन,
मूल* भूला देते सब,
समता का समतल,
बदल जाता व्यवहार।।
इसीलिए विचार कर,
बोलो! बोली,
बोले शब्द ही ,
शत – सहस्त्र अब्द* तक भी,
प्रभावी होते हैं,
सार्थक ,
ईसवी और हिजरी* से भी,
प्राचीनतम विक्रम संवत् तक।।
पलटिए पृष्ठ ,
प्रमाण – पुस्तक के,
पुश्तों* की ,
उनके शब्द और विचार,
गंभीर भावों की,
माप लीजिए ,
नैतिक – भांप को,
नाप लीजिए पुरातन,
आलाप को,
चिरंतन और व्यापक स्तर पर।
शब्द सच में अनकहे हो नहीं सकते ,
अर्थ हैं अनकहे।।
संकेत शब्द: –
1 वैराग्य 2 प्रहार 3* समय 4* विराम 5 *दीवार 6 *समस्त 7 *परिवार 8 *साधन 9 *कपड़ा 10 मनुष्य 11 मुख्य 12* वर्ष 13 *मुस्लिम कालक्रम 14 *पीढ़ी
##समाप्त