“शब्दऔर समर्पण”
है मेरे पास इक दरिया खामोशी का ,
और कुछ शब्द न्योछावर हैं तुम पर,
मखमल से उडते ख्वाबों पर,
मन तैरा करता है जज्बातों संग,
नयी सुबह की उम्मीदों का,
कब रहा तलबगार ये मन ,
बस कारवां रहा शब्द और समर्पण का ….
….निधि….
है मेरे पास इक दरिया खामोशी का ,
और कुछ शब्द न्योछावर हैं तुम पर,
मखमल से उडते ख्वाबों पर,
मन तैरा करता है जज्बातों संग,
नयी सुबह की उम्मीदों का,
कब रहा तलबगार ये मन ,
बस कारवां रहा शब्द और समर्पण का ….
….निधि….