शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।
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शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।
मुस्कुराते हैं तो लव जैसे गुलाब लगते हैं।
मैंने जोहरी की तरह जिसको तराशा बरसों ।
जिंदगी बनकर घर में खुशियों की तरह महकते हैं
Phool gufran
शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।
मुस्कुराते हैं तो लव जैसे गुलाब लगते हैं।
मैंने जोहरी की तरह जिसको तराशा बरसों ।
जिंदगी बनकर घर में खुशियों की तरह महकते हैं
Phool gufran