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31 May 2024 · 1 min read

शबनम

अलंकार पर आधारित
“अहसास ”

ओंस की शबनम से ,मोती
मांग में सजते रहे

हम लता की ओट से,
जब उन्हें तकते रहे

लब्ज थे खामोश ,
पर होठ कुछ कंप रहे

दोनों एक दूजे के ,
तीरे नज़र से मदहोश थे

बढ़ रही थी धड़कनें,
कैसे होगा सामना

बरसों से मिलन की,
पूरी हो रही जो साधना

मन मयूर का म रति
सा क्रीड़ाको,आतुर हुआ

पर विवश था जो
आलिंगन भी न कर सका

उनको पाने की तमन्ना,
का ख्वाब बुनते ही रहे

दिल के दर्द ,नयनों से
ही मोती बन ,झरते रहे

हम लता की ओट से ,
जब उन्हें तकते रहे

कुमुद श्रीवास्तव (वर्मा)..

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