शपथ
कुछ प्रश्न मेरी नन्हीं , अक्सर मुझसे पूछा करती है,
मां! अमराई क्या होती है?आम्रकुंज कैसा होता है?
सावन के झूलों वाला वो नंदन कानन,
किस देश में होता है मां, बतलाओ ना,
क्या जवाब दूं-यही सोचती, स्वयं कहीं खो सी जाती हूं,
आम्रकुंज, अमराई, नंदन- कानन कहां विलुप्त हो गये,
पत्थर, ईंटों के जंगल कब प्रकृति लील गये,
सावन तो अब भी आता है, अब भी हरियाली तीज,
आती तो है पर, ना ही वो अमराई है, और
ना ही वो अल्हड़ गोरी की, भोली, उल्लासित उमंग से,
ऊंची पींगों वाले, अमुआ की डाली पर झूले हैं,
अब तो बस मकान के जंगल, दूषित वायु, दूषित जल है,
भीड़-भाड़ और कोलाहल है,
क्यों ना हम सब आज एक ये शपथ उठाएं,
एक एक वृक्ष सभी लगाएं।