**** शत्रु के प्रति क्षमा भाव रखे *****
**** शत्रु के प्रति क्षमा भाव रखे *****
किसी ने सच ही कहा है की – देने वाला देता है तो छप्पड़ फाड़कर देता है | उद्यमी , दानवीर कभी भी अपनी
प्रसंशा खुद नहीं करते है और समाचार , पत्र – पत्रिकाएं में नाम दर्ज करना यह भी पसंद नहीं करते है |
अपनी योजना व कार्यकलाप यही जानकारी हो , इस उद्देश्य से कभी – कभी जानकारी देते रहते है |
उनका मन उदार रहता है , सदा धार्मिक व सामाजिक कार्य में व्यस्त रहते है | उनका मन उदार रहता है ,
सदा धार्मिक व सामाजिक कार्य में व्यस्त रहते है | किसी भी प्राणी ( मानव ) की भावना को दुःखाना ऐसा
कार्य करते नहीं है | ऐसे आदमी की संगत हमेशा संत लोगो से ही रहती है , इसलिए आचार – विचार उत्तम रहते है |
दानवीरो , उद्यमी को भली – भांति ज्ञात है की मित्र से ज्यादा शत्रु प्रगति के लिए प्रेरणा देता है |
* शत्रु ही हमेशा सजग रहने की प्रेरणा देता है |
* मित्रो की तरह विस्वासघात भी नहीं करता है शत्रु |
* मित्र ही शत्रु बना है |
इसलिए शत्रु के प्रति रहम भाव ( क्षमाभाव ) रखे |
लेकिन प्रायः देखा , सुना की इनके साथी , मित्र स्वार्थी सभाव और तरक्की की लालची प्रवुत्ति रखकर हमेशा
गुमराह करते रहते है एव हमेशा अपना उल्लू सीधा करने के फिराक में रहते है | ऐसे आदमी का समय भी
ज्यादा लंबा रहता है और अंत भी देखने लायक रहता है |
– राजू गजभिये
दर्शना मार्गदर्शन केंद्र , बदनावर जिला धार ( मध्य प्रदेश)