शक्ति
शक्ति
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जगदम्बिके तुम शक्ति का भंडार हो
दो शक्ति ऐसी जगत का उद्धार हो |
ज्योतित तुम्हारे तेज से सारा जगत
मन प्राण गति लय ताल का आधार हो |
भुवनेश्वरी तिहुँ लोक की हो शक्ति तुम
आकार बिन साकार हो ,हो ज्योति तुम |
जै – जै जगत हितकारिनी भयहारिनी
कर बद्ध हो नत हूँ चरण दो भक्ति तुम |
ध्यावें तुम्हे नर नारि जो सद्गति मिले
दुख शत्रु भय से मुक्त हों शक्ति मिले |
हे खड्ग खप्पर धारिणी मातेश्वरी
हो गर कृपा मनरंजनी नव निधि मिले |
हे सिन्धु जन्मा हिम सुता हे जग जननि
पूरण करो मम आस हे मंगल करनि|
बल बुद्धि दाता धन प्रदाता कर दया
करुणा मयी ममता मयी तारन तरनि |
मंजूषा श्रीवास्तव