शक्ति साधना सब करें
** कुण्डलिया-१ **
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शक्ति साधना सब करें, नवरात्रों में नित्य।
चैत्र शुक्ल की भोर का, उदित हुआ आदित्य।
उदित हुआ आदित्य, स्वर्णमय हुई दिशाएं।
रंग बिरंगे पुष्प, हवाओं को महकाएं।
कह सुरेन्द्र यह बात, मातु की करें वंदना।
आया है शुभ वक्त, करें सब शक्ति साधना।
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** कुण्डलिया-२**
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जीवन में खुशियां भरें, रखें स्वयं को व्यस्त।
छोड़ें चिंताएं सभी, और रहें हम मस्त।
और रहें हम मस्त, काम सेवा के कर लें।
सबके बनकर दोस्त, समय खुशियों से भर लें।
कह सुरेन्द्र यह बात, व्यर्थ के छोड़ें बंधन।
और तजें आराम, खूब महकाएं जीवन।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हिमाचल प्रदेश)