शक्ति अराधना
शक्ति की आराधना चाहिए , शक्ति की होनी वन्दना चाहिए
हर जन में हो संचरित शक्ति , ऐसी बलवती भावना चाहिए
भय मुक्त हो जाये नारी शक्ति , रहे हर ओर स्वतंत्र जो विचरती
किसान खुदकशी न करें कोई , उर्वरा हो जाये उसकी धरती
सभी को मिले सिर ऊपर छत , सभी को मिले नित वस्त्र
सुरक्षा का भूगोल तय हो , जीवन सबका सुसज्जित हो
इस नवरात्र पर हम सबकी , यही तो होनी उपासना चाहिए
अहंकार , लालच , क्रोध भावना , नर की पशुवृत्ति नाश हो
उदात्त , परम रचनात्मक जन शक्ति , आध्य भौतिक समृद्धि हो
कोई बाले छली न जाये , शक्ति का ऐसा भी होना अकुंश चाहिए
राजतंत्र से मिले पनाह पूरी , दरिन्दे स्वतंत्र न निरंकुश चाहिए
इस नवरात्र पर हम सबकी , यही तो होनी कामना चाहिए
देश की कर्मठ श्रम शक्ति , भटके न अब इधर उधर
हर श्रमिक के घर जले चूल्हे , जिन्दगी न हो किसी की भंवर
प्रजा का ध्यान हर वक्त ही तो , राजा को रखना चाहिए
हो जरूरतें पूरी कैसे उनकी , यह भान करना चाहिए
इस नवरात्र पर हम सबकी , यहीं सुन्दर सृजना चाहिए