शंभू नाथ संग पार्वती भजन अरविंद भारद्वाज
शंभू नाथ संग पार्वती
पीकर भाँग धतूरे शम्भू, याद नहीं मेरी आई
छोड़ अकेली वन में मुझको, घूमे बन हरजाई
हे जग जननी पार्वती ये, कैसी है मोह माया
तीनों लोक का मैं रखवाला, मुझ में जगत समाया
नाथ आपने माँग भरी, और शपथ एक थी खाई
रखूँगा संग मैं सदा तुमको, याद तुम्हें न आई
भूत प्रेत सँग मेरा बसेरा, दानव मुझे पुकारे
डर जाओगी पार्वती तुम, भरते चीख हूँकारे
महादेव मुझमें ही तो ये, सारा जगत समाया
दुष्ट दलन करके मैनें भी, उनका रक्त बहाया
भस्म लगाए घूम रहा, लज्जा तुमको आएगी
वन-वन भटकूँ ध्यान लगाकर, पीड़ा सह पाएगी
कड़ी तपस्या करके भोले, तुमको मैनें पाया
तुम बिन रहना नहीं है मुझको, दिखलाओ न माया
जीत गई तुम पार्वती, अब साथ तुम्हारे रहना
तुझ बिन जी नहीं पाऊँगा मैं, सुन लो मेरा ये कहना
© अरविंद भारद्वाज