*शंकर जी (बाल कविता)*
शंकर जी (बाल कविता)
शंकर जी को शीश झुकाओ
इनके तप की महिमा गाओ
यह मंथन में विष पीते हैं
गरलकंठ होकर जीते हैं
गंगा इनके बल से आई
भारत-भू की हुई कमाई
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451