शंकर आदि अनंत
शंकर आदि अनंत, अविनाशी नित्यानन्द, आशुतोष महाकाल ,शिव ही ओंकार है
क्रोध इनका प्रचंड, गले लिपटे भुजंग, किया सदा असुरों का, शिव ने संहार है
चंद्र भाल जटा गंग, प्रिय इनको है भंग,नंदी गौरा गणपति , प्यारा परिवार है
नीलकंठ महादेव, देवों के भी हैं ये देव ,हम सबका नमन, इन्हें बारंबार है
डॉ अर्चना गुप्ता