वफ़ादारी
न तो ज़मीर बेचा न ही गिरने दिया,
तन्हा अपने आपको मग़र रहने दिया,
वफ़ा की खुश्बू ने मुझे तालीम किया,
पर जिस्म को हकीकत में रहने दिया,
सबको समझा अपना पराया तो नहीं,
जरूरत पड़ी मुझे कोई आया तो नहीं,
मलाल नहीं इसका मेरे साथ वह नहीं,
उसका साथ किसी ने निभाया तो नहीं,