वक़्त तिरे पहलू में ठहरे
काश कि दर्द, दवा बन जाये
ग़म भी एक, नशा बन जाये
वक़्त तिरे पहलू में ठहरे
तेरी एक, अदा बन जाये
तुझसे बेबाक हँसी लेकर
इक मासूम, खुदा बन जाये
लैला-मजनूँ, फरहाद-सिरी
ऐसी पाक, वफ़ा बन जाये
कुछ उनका सन्देश भी दे दो
काश! कि प्यार, सबा बन जाये