वक़्त गर ज़ाया ये सारा जाएगा
वक़्त गर ज़ाया ये सारा जाएगा
हाथ से ये भी किनारा जाएगा
तब थकन महसूस होगी आपको
बोझ ये जिस दिन उतारा जाएगा
एक दिन जाना था उसको छोड़कर
क्या पता था यूँ सहारा जाएगा
आपका जब साथ मिलता ही नहीं
टूटता अपना सितारा जाएगा
आपके अख़लाक़ से राज़ी है वो
आप से मिलने दुबारा जाएगा
जो संभलने की करेगा कोशिशें
वो यक़ीनन ही उबारा जाएगा
जो सही हैं फ़िक्र उनकी क्यूँ करें
जो है बिगड़ा वो सुधारा जाएगा
जाएंगे क्यूँ सोचने की बात है
सोचिये मत क्या हमारा जाएगा
आप से ‘आनन्द’ कहता कुछ नहीं
आपको लेकिन संवारा जाएगा
– डॉ आनन्द किशोर