वक़्त के साथ बदलते हैं ज़माने वाले
वक़्त के साथ बदलते हैं ज़माने वाले
फेर लेते हैं नज़र नाज़ उठाने वाले
कल तलक सर पे बिठाया था जिन्होंने हमको
अब हमारे हैं वही ऐब गिनाने वाले
मरने के बाद कहाँ याद कोई करता है
रहते पर मर के अमर नाम कमाने वाले
जख्म भी मिलते हमें रहते यहाँ अपनों से
होते हैं गैर नहीं दिल को दुखाने वाले
पढ़ते पढ़ते ही इन्हें गुनगुना उठते हैं लब
गीत होते हैं मधुर आपके गाने वाले
लोगों के कहने की परवाह नहीं करना तुम
कुछ तो होते ही हैं बस बातें बनाने वाले
है ये विश्वास कि डूबेंगे यहाँ हम भी नहीं
आयेंगे ‘अर्चना’ हमको भी बचाने वाले
17-05-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद