वक़्त के आँचल में
वक़्त के आँचल में , दो पल गुजार दो
हो सके तो अपना जीवन, संवार लो
जिन्दगी का कोई भरोसा , नहीं होता
किसी की जिन्दगी के , गम उधार लो
वक़्त की अहमियत को तो जानते हो तुम
खुद को तुम दूसरों के हित वार दो
लक्ष्य जीवन का , दूसरों का अभिनन्दन हो
स्वयं को दूसरों की राह के , पुष्प बना दो
मानव संबंधों की राह को परिपक्व करो तुम
मर्यादा के अलंकरण से खुद को संवार लो
सद्चरित्र निर्मित करो, आदर्शपूर्ण व्यवहार करो तुम
नैतिकता के मार्ग से , किसी का जीवन संवार दो
अंतर्ज्ञान से अपना जीवन संवार लो
अपनी आत्मा को इस सागर से पार लगा लो
अनुपम कृति हो तुम, उस परमात्मा की
उस प्रभु की इच्छा पर सब कुछ निसार दो
वक़्त के आँचल में , दो पल गुजार दो
हो सके तो अपना जीवन, संवार लो
जिन्दगी का कोई भरोसा , नहीं होता
किसी की जिन्दगी के , गम उधार लो