********व्हिस्की********
********व्हिस्की********
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व्हिस्की के जाम तू पिए जा,
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
कितनी भी हो चिंता भारी,
चाहे गई हो सारी मत मारी,
व्हिस्की के घूंट तू लिए जा।
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
ना जाने कैसी चीज बनाई,
बिना पिए ना टूटे अंगड़ाई,
खुद पर रहम तू किए जा।
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
देख जिसे मुख खिल जाए,
पीने को दो घूंट मिल जाए,
सुबह से शाम तू पिए जा।
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
जिगरा पीकर है बढ़ जाता,
छोटा – बड़ा काम हो जाता,
प्रभु के नाम भी लिए जा।
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
बेशक पत्नी की हो सौतन,
पर भाती है सबके तन-मन,
चोरी-चुपके से तू पिए जा।
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
ऐसी नहीं कोई जग खुमारी,
जो कर दे सारी दूर बीमारी,
दवाई समझ के तू लिए जा।
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
प्यार मे गर दिल टूट जाए,
प्रियतम प्यारा हो छूट जाए,
पीकर जख्म सारे सिए जा।
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
बहुत ही अच्छी मयख़्वारी,
गूढी हो जाए बिगड़ी यारी,
घूंट पर घूंट खूब तू पिए जा।
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
पी कर गम सारे भूल जाए,
पाँव से सिर तक झूम जाए,
मदहोशी के रंग तू लिए जा।
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
मनसीरत नहीं हुआ शराबी,
पीकर ना की कोई खराबी,
लाल परी संग तू जिए जा।
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
व्हिस्की के जाम तू पिए जा।
जिंदगी पी कर तू जिए जा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)