Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jan 2023 · 1 min read

व्याभिचार

“प्रकृति के बिना आकृति और प्राकृतिक दोनों का असितत्व नहीं (छिन्न) है..
प्रकृति भी तबतक है जबतक की मौनसून सत्र है वरणा सुखे पतझड़ है..
बात नर नारी की हो या प्रकृति की ,इनके वजूद होते हैं सहानुभूति से ..
बुढा बरगद में पत्ते चाहे जितने भी कम हो पर वो मजबूत होते हैं जबतक उसे हवा और पानी मिल रहा हो..
वो तबतक खडे हैं जबतक के उनके जडें मजबूती से खडे हैं..
हां ये खामोश होते हैं पर कभी कमजोर नहीं..
रही बात समाज और परिवार की ये प्रकृति से अलग कहां है.

नारी इतनी भी अमीर नहीं कि वो सबकुछ खरीद ले..।
खुद को गरीब भी नहीं समझती की खुद बिक जाए..।।
दुख दर्द की भी अपनी अदा है..।
ये तो सहनेवालों पर ही फिदा है..।।
वे परेशानियों से डरते नहीं हैं..।
सार इतना है कि नारी बडीखामोशी और होशियारी से अपने हर( बात )परीक्षा को चुनौती के रूप में स्वीकार करती है और व्यक्ति बाधा के रूप में देखता है..
चुनौती -सकारात्मक और बाधा- नकारात्मक।
अंजान तो रावण भी नहीं था अंजाम से..
मगर जिद्द थी उसके अपने अंदाज में जीने की..

जिंदगी के जंग में चाहे जितनी भी चुनौतियां आए ..
मुस्कुरा कर इसे पार लगाना होगा..
बाधाएं बनकर जो रास्ते में आए ..
पत्थर बनकर उससे टकराना होगा..
धन्यवाद
✍️प्रतिभा कुमारी गया-✍️

Language: Hindi
176 Views

You may also like these posts

सारे ही चेहरे कातिल है।
सारे ही चेहरे कातिल है।
Taj Mohammad
आभार धन्यवाद
आभार धन्यवाद
Sudhir srivastava
The Heart Wishes For The Waves.
The Heart Wishes For The Waves.
Manisha Manjari
बदल जाएगा तू इस हद तलक़ मैंने न सोचा था
बदल जाएगा तू इस हद तलक़ मैंने न सोचा था
Johnny Ahmed 'क़ैस'
पुण्य पताका फहरे
पुण्य पताका फहरे
Santosh kumar Miri
मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
Phool gufran
Midnight success
Midnight success
Bidyadhar Mantry
मैं अपना यौवन देता हूँ !
मैं अपना यौवन देता हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
होके रुकसत
होके रुकसत
Awneesh kumar
जीवन - अस्तित्व
जीवन - अस्तित्व
Shyam Sundar Subramanian
*गुरु हैं कृष्ण महान (सात दोहे)*
*गुरु हैं कृष्ण महान (सात दोहे)*
Ravi Prakash
D
D
*प्रणय*
वादा कर लो.....
वादा कर लो.....
sushil sarna
ऐसी प्रीत कहीं ना पाई
ऐसी प्रीत कहीं ना पाई
Harminder Kaur
तेरा इश्क मेरे दिल की दवा है।
तेरा इश्क मेरे दिल की दवा है।
Rj Anand Prajapati
हमारे पास आना चाहते हो।
हमारे पास आना चाहते हो।
सत्य कुमार प्रेमी
4390.*पूर्णिका*
4390.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सबने मिलकर जिसको आगे बढ़ाया,
सबने मिलकर जिसको आगे बढ़ाया,
Ajit Kumar "Karn"
- सच्ची अनुभूति -
- सच्ची अनुभूति -
bharat gehlot
*अहम ब्रह्मास्मि*
*अहम ब्रह्मास्मि*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मन के द्वीप
मन के द्वीप
Dr.Archannaa Mishraa
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
Aarti sirsat
कटे न लम्हा ये बेबसी का ।
कटे न लम्हा ये बेबसी का ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
क्या तुम कभी?
क्या तुम कभी?
Pratibha Pandey
वह कौन शख्स था
वह कौन शख्स था
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
" सच-झूठ "
Dr. Kishan tandon kranti
बंधी मुठ्ठी लाख की : शिक्षक विशेषांक
बंधी मुठ्ठी लाख की : शिक्षक विशेषांक
Dr.Pratibha Prakash
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
मुझमें भी कुछ अच्छा है
मुझमें भी कुछ अच्छा है
Shweta Soni
भीड़ में वो खो गए
भीड़ में वो खो गए
प्रदीप कुमार गुप्ता
Loading...