व्याधियाँ (घनाक्षरी छंद)
व्याधियाँ (घनाक्षरी छंद)
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दवा के बिना तो नहीं बचती फसल अब,
हवा में है घुल गया देखिए ज़हर भी।
रोज रोज इतनी दवाई हम खा रहे हैं,
कम हो रही है हम सबकी उमर भी।
पहले के रोग जड़ी बूटियों से मिटते थे,
अब सुइयों का नहीं हो रहा असर भी।
कि इसी रफ्तार से ये व्याधियाँ बढ़ेंगी यदि,
चार कोस पे दीया न आएगा नजर भी।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 31/08/2019