व्यस्तता
तुम जैसा नहीं कोई दूजा है।
पर,मेरे लिए कर्म ही पूजा है।
चाहता हूं मैं तुम्हारे पास आऊं।
व्यस्तता से तुम तक न आ पाऊं।।
व्यस्तता में न तुमको ढ़ूंढ पाऊं।
अपने आपको सूखा ठूंठ पाऊँ।।
समय नहीं ठहरता है अब यहांँ।
समय नहीं ठहरता है अब वहांँ।।
तुम्हारे चेहरे पर झुर्रियां हो गई।
काया जाने सूखी पत्तियां हो गई।।
काम की ढ़ेरों मजबूरियां हो गई।
हमारे बीच बहुत दूरियां हो गई।
व्यस्तता कब कम हुई किसी की।
आंखें भले ही नम हुई सभी की।।
क्या करूं? तुम्हें सब कुछ चाहिए।
सपने में नहीं हकीकत में चाहिए।।
व्यस्तता अब कम नहीं हो सकती।
नभ में पहचान,बनकर चमकती।।
व्यस्तता से मनचाहा मिलता है।
सूखे वन में भी फूल खिलता है।।
सबको मालूम है,तुम हो मेरी ।
मेरे मन में छवि बसी है तेरी।।