“व्यवहारों की जगह व्यापारों ने ले ली है ll
“व्यवहारों की जगह व्यापारों ने ले ली है ll
पाखंड की जगह चमत्कारों ने ले ली है ll
मुक्तभोगी अंततः भुक्तभोगी बनते हैं,
लुटेरों की जगह सरकारों ने ले ली है ll
अखबार, आईना नहीं कांच बन गया है,
अफवाहों की जगह अखबारों ने ले ली है ll
दूरियाँ कैसे न बढेंग़ी हमारे दरमियान,
दरवाजों की जगह दीवारों ने ले ली है ll
अब विजेता ही शामिल होता है गुनहगारों में
चीख पुकारों की जगह जयकारों ने ले ली है ll”