” व्यवहारिकता “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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नाएच लिअ अपने
ताले,
अहंकारक पर्वत पर बैस जाऊ,
लोग
कें चिनह मे
आनाकानी करैत रहू ,
समाजक कर्त्तव्य सं
कात- कात आहां रहू ,
फुसिये व्यवहारिकताक
स्वांग आहां रचैत जाऊ ,
व्यंगक वाण सं
दोसरा कें आघात
आहां करैत जाऊ !!
अनका कें बात छोडि
अपना सं भेद – भाव
कतवा दिन काज देत ?
सुखमय जीवन कें
सत्ते भासिया देत !!
कत्ते दिन चलैत रहब सकीर्णताक
आरि मे ,
पतझरक पात नहि रहैत अछि
डारि मे !!……….
कार्य कोनो नीक करि समाजक उत्थान करि,
समाजक संग चलि संसार मे नाम करि !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका