✍️✍️व्यवस्था✍️✍️
✍️✍️व्यवस्था✍️✍️
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मैं जानता हूँ
कल फिर यहाँ
जिंदगानियाँ
तरन्नुम होगी,
फ़तेह की कहानियाँ
नयी जुबाँ लिखेगी,
खुशियों के मेले लगेंगे
आदमियों की भीड़ सजेगी।
क्या फर्क पड़ता है
गर इंसानियत का
एक ओर शहर
तबाह हो जाये तो….
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✍️”अशांत”शेखर✍️
13/06/2022